यथार्थ डेयरी फार्मिंग के अंतर्गत बेहतर तकनीकी के उपयोग से
परम्परागत पशु प्रबंधन प्रणाली में सुधार लाया जा सकता है ताकि फ़ार्म की उत्पादकता
बढ़ाई जा सके. पशुओं के पूर्ण झुण्ड के स्वास्थ्य की निगरानी करने की परम्परा आजकल
पुरानी हो गई है क्योंकि इससे वास्तविक एवं अनुमानित परिणामों में भेद करना कठिन
होता है. आधुनिक डेयरी फार्मिंग में प्रत्येक पशु के स्वास्थ्य एवं उत्पादन पर
निगरानी रखी जाती है ताकि डेयरी व्यवसाय अधिक लाभकारी हो सके. गायों की अलग-अलग
निगरानी रखने के कई लाभ हैं. इस प्रक्रिया में रुग्ण पशुओं की पहचान करके इन्हें
झुण्ड से अलग कर दिया जाता है ताकि अन्य गायों के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल
प्रभाव न पड़े. प्रसवकाल में प्रत्येक गाय की निगरानी की जाती है ताकि प्रसवोपरांत
उत्पन्न हुए बछड़ों की मृत्यु दर बढ़ने न पाए. प्रत्येक गाय को उसकी आवश्यकतानुसार
आहार दिया जाता है ताकि अधिकतम दुग्ध-उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके. प्रत्येक गाय
द्वारा ग्रहण किए गए चारे एवं दुग्ध-उत्पादन से वास्तविक लाभ की स्थिति का
पूर्वानुमान लगाया जा सकता है. इसकी सहायता से डेयरी फ़ार्म के बजट का आकलन,
दूध-उत्पादन का पूर्वानुमान एवं पशुओं की आहार आवश्यकताओं का सटीक अनुमान भी लगाया
जा सकता है. संसाधनों के युक्तिसंगत उपयोग एवं प्रबंधन हेतु डेयरी के दुग्ध-उत्पादन
का पूर्वानुमान लगाना अत्यंत आवश्यक है. पशुओं के आहार को संतुलित रखना आवश्यक है
ताकि इनकी खुराक में सुधार करके उत्पादकता बढ़ाई जा सके. स्वस्थ गाय सदैव अधिक आहार
ग्रहण करती है तथा अधिक दूध देती है. प्रत्येक गाय द्वारा ग्रहण किए गए आहार एवं
दुग्ध-उत्पादन समंधी आंकड़ों से पशुओं के लिए अधिक उत्पादकता वाला मिश्रित आहार
तैयार किया जा सकता है. इस प्रकार तैयार किए गए राशन में पोषक तत्त्वों का
युक्तिसंगत उपयोग होता है तथा आहार का कोई भी भाग व्यर्थ नहीं होता.
पशुओं को परोसे गए एवं बचे हुए आहार से इसकी ग्राह्यता
अनुमान लगाया जा सकता है परन्तु परोसने और खिलाते समय जो आहार व्यर्थ होता है,
उसका सटीक आकलन नहीं हो पाता जो प्रत्येक पशु की उत्पादन क्षमता के सही अनुमान
हेतु अत्यंत आवश्यक है. व्यर्थ होने वाला चारा गल-सड़ जाता है जबकि इसे गाय पर होने
वाले खर्च में जोड़ दिया जाता है. आजकल चारा ग्राह्यता सम्बन्धी आंकड़े एक विशेष प्रकार
के स्वचालित इलेक्ट्रोनिक उपकरण द्वारा एकत्र किए जाते हैं जिसमें किसी प्रकार की
गलती की सम्भावना नहीं रहती. प्रत्येक गाय द्वारा खाए गए चारे का पता लगाने के लिए
रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान जिसे आर एफ आई डी कहते हैं, का उपयोग किया जाता है. गाय
के कान में टैग की तरह एक आर एफ आई डी ट्रांसपोंडर लगा दिया जाता है. बाड़े के अंदर
ही किसी स्थान पर आर.एफ.आई.डी. रीडर लगा होता है जो प्रत्येक गाय की स्थिति का आकलन करता
रहता है. कुछ ऐसे बिछावन भी तैयार किए गए हैं जिन्हें चारा चरने वाले फीडर के साथ जोड़
कर बिछा देते हैं तथा यह प्रत्येक गाय द्वारा चारा चरने में व्यतीत किए गए समय को
रिकॉर्ड करता रहता है. इससे प्रत्येक गाय द्वारा ग्रहण किए गए चारे की मात्रा
ज्ञात हो सकती है. इसकी सहायता से दुग्ध-उत्पादन, आहार दक्षता, पशु स्वास्थ्य एवं
डेयरी के दैनिक लाभ के विषय में भी जानकारी मिल सकती है. आजकल ऐसे कार्य एक मशीन
की सहायता से किए जाते हैं ताकि पशुओं की दिनचर्या में किसी प्रकार का व्यवधान न हो.
इसमें वांछित स्थान पर कैमरे लगे होते हैं जो एक कम्पूटर की सहायता से विडियो
निगरानी का काम करते हैं. कैमरे द्वारा रिकॉर्ड किया गया विडियो त्रि-आयामी
तस्वीरें कम्पूटर को प्रेषित करता है. इनके
द्वारा दिखाई देने वाले चित्रों से कैमरे की दूरी का सटीक अनुमान भी लगाया जा सकता
है. इस प्रकार प्रत्येक गाय द्वारा ग्रहण किए गए चारे की सही मात्रा ज्ञात हो सकती
है. पशुओं के लिए कम्प्यूटरीकृत तथा यांत्रिक फीड स्टाल अपनाकर प्रत्येक गाय
द्वारा खाए गए चारे की मात्रा एवं स्वास्थ्य पर निगरानी रखी जा सकती है. परम्परागत
प्रबंधन पद्धति में व्यर्थ नष्ट हो रहे चारे के विषय में कोई जानकारी नहीं मिलती
जबकि इससे डेयरी फ़ार्म की आर्थिकी अत्यधिक प्रभावित होती है. गाय की दैनिक पोषण
ग्राह्यता की निगरानी द्वारा उनके स्वस्थ या अस्वस्थ होने की जानकारी भी मिलती
रहती है जिससे इनका तुरन्त उपचार किया जा सकता है. The blog will provide an up to date information on the upkeep and management of dairy animals. It will also provide the news and views on the latest development in this area. The main aim of this portal is to provide a first hand information to the dairy farmers so that they may get benefited from this portal. The portal will provide all the information in Hindi.
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