Tuesday, June 5, 2018

जब दूध सस्ता हो तो किसान क्या करें?


हमारे डेयरी किसान गाय और भैंस पालन करके अपनी मेहनत से अधिकाधिक दूध उत्पादित करने में लगे हैं परन्तु यह बड़े दुःख की बात है कि उन्हें इस मेहनत का प्रतिफल नहीं मिल रहा है. ज्यादातर गाँव शहरों से दूर हैं जहाँ इस दूध को खरीदने वाला कोई नहीं है. जो गाँव शहर के समीप हैं, वहाँ दूध बेचने वाले औने-पौने दाम दे कर यह दूध बड़ी डेयरियों या शहर के अमीर ग्राहकों को महंगे भाव में बेच देते हैं. अक्सर किसान ऐसे मकड-जाल में फंस गए हैं कि उन पर इन दूधियों की बहुत बड़ी देनदारी हो गई है. यही कारण है कि न चाहते हुए भी हमारे किसान इन्हें सारा दूध सस्ते में बेचने को मजबूर हो रहे हैं. यह एक गंभीर समस्या है परन्तु हम सब मिल कर इसका कोई न कोई हल अवश्य निकाल सकते हैं. यह निश्चित है कि इसके लिए जो भी रास्ता निकलेगा वह हम सबके सार्थक प्रयासों से ही निकलेगा!
दूध सस्ता कैसे होता है?
किसी भी वस्तु के बाज़ार भाव आर्थिक दृष्टि-कोण से प्रभावित होते हैं. जब बाज़ार में दूध की मांग कम हो तो यह सस्ता और जब इसकी मांग अधिक हो तो यह महँगा बिकने लगता है. एक समय था जब देश में दूध की बहुत कमी थी परन्तु आज संगठित क्षेत्र में बड़ी डेयरियों के आने से दूध उत्पादन अत्यधिक बढ़ गया है. इन डेयरियों में दूध उत्पादन करने से खर्च कम और मुनाफा ज्यादा होता है क्योंकि प्रति लीटर दुग्ध-उत्पादन पर लागत कम होती है जिसका श्रेय आधुनिक तकनीकी और मशीनों को जाता है. इन डेयरियों में केवल अत्यधिक दूध देने वाले सर्वश्रेष्ठ नस्ल के पशुओं को ही रखा जाता है. जो पशु 30 लीटर प्रति दिन से कम दूध देते हैं, उन्हें इन डेयरियों में स्थान नहीं मिलता. यहाँ प्रत्येक पशु का औसत दूध उत्पादन छोटी डेयरियों की तुलना में बहुत अधिक होता है जिससे दूध की उत्पादन लागत काफ़ी कम हो जाती है. हमारा परंपरागत किसान डेयरी के ज्यादातर काम अपने हाथ से करता है जिसमें समय और मेहनत ज्यादा खर्च होती है. कारण चाहे जो भी हो लेकिन यह भी सच है कि दूध का उत्पादन बढ़ने से इसके बाज़ार मूल्यों में अब कड़ी स्पर्द्धा होने लगी है.
दूध अधिक दाम में कैसे बेचें?
क्या आपने कभी सोचा है कि बड़ी डेयरी के लोग कभी यह शिकायत क्यों नहीं करते कि दूध का दाम बढ़ाओ? उल्लेखनीय है कि उनके यहाँ उत्पादित होने वाला दूध पहले ही बाज़ार दरों से अधिक दाम पर बिक रहा है! आज देश में कई बड़े डेयरी फ़ार्म अपने यहाँ उत्पादित होने वाले दूध को 100 रूपए लीटर तक भी बेच रहे हैं. शायद कुछ लोग मुझसे सहमत न हों परन्तु यह कड़वा सच है जिसे स्वीकार करना ही होगा. अब अगला सवाल यह है कि आप के गाँव में इसके 20-25 रूपए भी मुश्किल से मिलते हैं जबकि ये लोग मुंबई जैसे शहर में 100 रूपए प्रति लीटर कैसे बेचते हैं? इसका सीधा-सा जवाब यह है कि ये लोग अपने ग्राहकों पर नज़र रखते हैं. इनके ग्राहक इनके पास चल कर नहीं आते जबकि ये दूध लेकर अपने ग्राहक तक पहुँच जाते हैं. जाहिर है, ग्राहकों को मिलने वाली यह सुविधा मुफ्त नहीं है. मेरे कई मित्र आजकल भैंस का शुद्ध दूध 60 रूपए तथा गाय का दूध 35 रुपये प्रति लीटर तक खरीद रहे हैं. यदि ग्राहक संतुष्ट हो तो वह कुछ अधिक दाम देने में भी संकोच नहीं करता.
डेयरी का सारा परिवहन खर्च दूध की कीमत में ही शामिल होता है. आजकल लोग अच्छी गुणवत्ता का दूध अपने घर में बैठे-बिठाए लेने हेतु इसकी ऊंची कीमत भी देने को तैयार हो जाते हैं. अब सवाल उठता है कि दूध ग्राहकों तक लेकर कौन जाए? हमारा किसान कहता है कि यह मेरा काम नहीं है. किसानों के बच्चे आजकल खेतीबाड़ी से किनारा कर रहे हैं. देश में बे-रोजगारी की बड़ी गंभीर समस्या है. विदेशों में तो लोग अपने पूरे परिवार को ही डेयरी के व्यवसाय में लगा देते हैं फिर भी उन्हें अतिरिक्त लोगों की जरूरत पड़ती है. हमारे कई किसान भाई ऐसे हैं जिन्होंने अपने पशुओं की देख-रेख हेतु कई आदमी नौकरी पर रखे होंगे. इन सबका खर्च भी डेयरी से होने वाली संभावित आय से ही निकलता है.
दुग्ध-उत्पादों से अधिक लाभ कमाएँ
आजकल दूध का मूल्य संवर्धन करके विभिन्न प्रकार के पौष्टिक उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं. दूध से पनीर तो आसानी से बनाया जा सकता है. इसमें बहुत मुनाफा है. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान अपने यहाँ तैयार किया गया पनीर 320 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर बेचता है. अगर आप अपने घर में पनीर बनाएंगे तो यह दो सौ से सवा दो सौ रूपए प्रति किलोग्राम की लागत से तैयार हो जाता है. इसकी ट्रेनिंग डेयरी संस्थान से मिल सकती है तथा इसे बनाने हेतु कोई ज्यादा महँगी मशीन की भी जरूरत नहीं पड़ती. डेयरी किसान चाहें तो दूध से खोवा एवं दही आदि बना कर भी बेच सकते हैं. अगर आप कोई उत्पाद बनाने की स्थिति में नहीं हैं तो इसकी क्रीम निकलवा कर बेच सकते हैं. आजकल आइसक्रीम फैक्टरियों में इसकी अच्छी मांग रहती है. करें रहित दूध को सस्ती दर पर बेचा जा सकता है क्योंकि इससे चाय, दही एवं सुगन्धित डेयरी पेय तैयार किए जा सकते हैं. कुछ लोग क्रीम से देशी घी बना कर भी बेच देते हैं. निष्कर्षतः दूध का जितना बेहतर प्रसंस्करण होगा उतना ही अधिक इसका बाज़ार मूल्य भी मिलता है. साल में कभी ऐसा अवसर भी आता है जब दूध अधिक होता है परन्तु ग्राहक नहीं होते. उस समय कई मिल्क प्लांट दूध से घी और पाउडर बना कर रख लेते हैं और आराम से बेचते हैं. जब दूध की कमी होती है तो इन्हें अपनी क्षमता का दस प्रतिशत दूध भी नहीं मिलता. तब ये लोग पाउडर से दूध बना कर बेचते हैं. कुछ लोग अनार्थिक होने के कारण अपना प्लांट कुछ दिनों के लिए बंद भी कर देते हैं.
मल-मूत्र से जैविक खाद बनाएँ
आप गोबर से उपले या वर्मी-कम्पोस्ट खाद बना कर भी बेच सकते हैं. आजकल पंचगव्य के नाम से जानी जाने वाली खाद भी लोकप्रिय हो रही है. पंचगव्य प्राकृतिक सामग्री से बनी एक जैव बढ़ोत्तरी उत्तेजक औषधि है. यह पौधे के विकास को बढ़ावा देती है और साथ ही मिट्टी के जीवाणुओं से इसकी रक्षा भी करती है। पंचगव्य पशुओं और मानव के स्वास्थ्य में भी उपयोगी पाया गया है। आजकल कृषि-रसायनों और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए लोग जैविक खेती में अधिक रुचि दिखा रहे हैं जिससे प्राकृतिक ढंग से बनी पंचगव्य जैविक खाद की माँग बढ़ रही है. अब तो किसानों ने अपने खेत में खुद ही पंचगव्य बनाना शुरू कर दिया है तथा कुछ लोग पंचगव्य का उत्पादन कर खूब मुनाफा भी कमाने लगे हैं। इसका इस्तेमाल दुधारु पशुओं, बकरी, भेड़, मुर्गी पालन, मछली और पालतू जानवरों में जैविक संवृद्धि उत्तेजक के रूप में भी किया जा रहा है। यह पौधों की रोग-प्रतिरोध क्षमता बढ़ाता है तथा इससे बेहतर वृद्धि दर मिलती है. इससे फसल का उत्पादन 20 से 25% तक बढ़ जाता है तथा पौधों को कम पानी की आवश्यकता पड़ती है. 20 लीटर पंचगव्य तैयार करने हेतु लगभग 1000 रूपए की सामग्री की आवश्यकता पड़ती है तथा इसे आसानी से बनाया जा सकता है. इसे बनाने में 50 रूपए प्रति लीटर का खर्च आता है जबकि बाज़ार में अच्छी गुणवत्ता का पंचगव्य लगभग 400 रूपए प्रतिकिलोग्राम तक बिक जाता है जो इसके ब्रांड नाम एवं गुणवत्ता पर निर्भर करता है. यह एक ऐसा मूल्य-संवर्धित उत्पाद है जिसे किसान स्वयं तैयार करके उपयोग में ला सकते हैं तथा इसे बेच कर खूब कमाई भी कर सकते हैं.
आय के वैकल्पिक स्रोत ढूँढें
जब दूध की माँग कम हो तो हमारे किसान कहीं से सस्ते भाव में बछड़ी या कटड़ी खरीद कर इससे गाय या भैंस तैयार कर सकते हैं. दूध का भाव कम होने पर अपनी गाय को अच्छे दाम पर बेचने हेतु भी विचार किया जा सकता है. डेयरी का अर्थ यह कतई नहीं है कि आपको केवल दूध ही बेचना है. अपने ग्याभिन पशुओं पर अधिक ध्यान दे सकते हैं तथा अतिरिक्त पशुओं को बेच कर अपने काम के लिए धन जुटा सकते हैं. जब दूध बेचने से संतुष्टि न हो तो आप चारा उगाएँ और डेयरियों को बेच दें. आप साइलेज भी बना सकते हैं, अभी राजपुरा के पास एक बहुत बड़ी कंपनी साइलेज बना कर बेच रही है. आजकल इसकी अच्छी मांग है क्योंकि पशुओं हेतु बेहतर चारा सब जगह आसानी से नहीं मिलता. देश में पशु आहार की भी काफी मांग है. कुछ लोग पशुओं हेतु फीड का निर्माण करके भी अच्छी कमाई कर सकते हैं. पशु आहार या फ़ीड बनाने की लगभग सारी सामग्री किसान अपने खेतों में ही उत्पादित करता है. इन सबका प्रसंस्करण करने पर कोई विशेष लागत भी नहीं आती. अब सवाल उठता है कि क्या हमारे किसान कोई ऐसी नीति पर काम नहीं कर सकते?
हमारे किसानों को चाहिए कि डेयरी पशुपालन व्यवसाय आरम्भ करने से पहले यह अवश्य सोचें कि उनके यहाँ दूध की पैदावार कितनी है और इसे कहाँ बेचना है? कई लोग बिना सोचे-समझे ही डेयरी का काम शुरू कर देतें हैं. जब इन्हें दूध खरीदने हेतु पर्याप्त खरीदार नहीं मिलते तो इसे घाटे में ही बेचने को तैयार हो जाते हैं. अतः हमारे किसान नई डेयरी शुरू करने से पहले अपने ग्राहकों की पहचान अवश्य कर लें. वे चाहें तो दूध खरीदने हेतु कुछ ग्राहकों से समझौता भी कर सकते हैं. ऐसे समझौते विश्वास पर आधारित होते हैं. जब आप शुद्ध दूध उचित दरों पर किसी व्यक्ति के घर तक पहुंचाएंगे तो आपको इसका वाजिब दाम जरूर मिलेगा. हालांकि शुरुआत में कुछ कठिनाई आ सकती है परन्तु बाद में सब ठीक हो जाएगा. अगर आप दस या बीस जगह पर ही दूध पहुंचा पाएँ तो यह एक अच्छी शुरुआत हो सकती है. हाँ, आपको आरम्भ में अपनी साख बनाने में कुछ दिक्कत अवश्य आ सकती हैं परन्तु एक बार आपकी साख ईमानदार दूध विक्रेता की बन गई तो लोग कुछ अतिरिक्त दाम देकर भी आप से ही दूध खरीदेंगे!
आजकल कई लोग इन्टरनेट पर सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और वाहट्सएप के जरिये भी लोगों को दूध खरीदने हेतु आमंत्रित कर रहे हैं जो एक अच्छा प्रचार माध्यम साबित हो रहा है. यदि डेयरी के व्यवसाय को सोच-समझ कर योजनाबद्ध ढंग से लागू किया जाए तो यह हमारे किसानों हेतु अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है.

जब दूध सस्ता हो तो किसान क्या करें?

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