Tuesday, April 25, 2017

पशुओं का बीमा कैसे करवाएँ?

अन्य व्यवसायों की भांति डेयरी के व्यवसाय में भी कई तरह के जोखिम हो सकते हैं जिन्हें ‘कवर’ करने के लिए हमारे देश में पशु-धन बीमा योजना का प्रावधान किया गया है. ये बीमा योजना सरकारी एवं प्राइवेट बीमा कंपनियों द्वारा सामान रूप से डेयरी किसानों हेतु उपलब्ध है.
बीमित पशु- दुधारू गाय, भैंस, बछड़ी, बैल या सांड चाहे जो भी हो. पशु का बीमा इसके वर्तमान बाज़ार मूल्य पर ही किया जाएगा. बाज़ार का मूल्य पशु का मालिक तथा इंश्योरेंस कंपनी का पशु चिकित्सक दोनों ही मिल कर तय करते हैं. पशु के नियत मूल्य पर ही बीमा ‘प्रीमियम’ देय होता है. बेसिक वार्षिक प्रीमियम दर 4% प्रतिशत तक हो सकती है जिस पर अन्य कर एवं शुल्क (यदि कोई हो तो) बीमा कंपनी के नियमानुसार देय होंगे. सरकारी योजनाओं के अंतर्गत आने वाले पशुओं को बीमा प्रीमियम में छूट दी जा सकती है. बड़े ग्रुप में बीमा लेने पर भी छूट का प्रावधान है. सभी बीमित पशुओं की पहचान हेतु कान में टैग लगवाना अनिवार्य होता है.
पशु की आयु-
दुधारू गाय- 2 वर्ष या प्रथम ब्यांत की आयु से 10 वर्ष तक.
दुधारू भैंस- 3 वर्ष या प्रथम ब्यांत से 12 वर्ष तक.
सांड- 3 से 8 वर्ष तक.
बैल या झोटा- 3 से 12 वर्ष तक.
बछड़ी- 4 माह से 2 वर्ष या प्रथम बार ब्याने तक की आयु, जो भी कम हो.
बीमा अवधि- यह 1 से 3 वर्ष तक हो सकती है जो हर कंपनी के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही होता है.
बीमित पशु का जोखिम- बीमित पशु की निम्नलिखित कारणों से होने वाली मृत्यु पर नुक्सान की भरपाई बीमा कम्पनी के नियमानुसार की जाती है.
पशु पर बिजली गिरने, आग लगने या विस्फोट होने की स्थिति में.
हवाई हादसे या टेस्ट के दौरान मिसाइल गिरने पर.
दंगों या हड़ताल के कारण जान-हानि. आँधी, तूफ़ान, बवंडर, बाढ़ अथवा अन्य प्राकृतिक आपदा.
भूकंप आने से. अकाल की स्थिति में, पशु की सर्जरी करते समय, आकस्मिक दुर्घटना.
बीमित समय के दौरान पशु को संक्रामक रोग होने से. पशु की स्थायी विकलांगता होने पर (अतिरिक्त प्रीमियम देने पर).
निम्नलिखित मामलों में कोई भी जोखिम होने पर मुआवजा नहीं दिया जाएगा.
लापरवाही या जानबूझ कर पशुओं का अनुचित ढंग से परिवहन करते समय विकलांगता या मृत्यु होने पर.
जोखिम आरम्भ होने की तिथि से पहले हुई दुर्घटना या बीमारी या मृत्यु होने पर.
अवैध ढंग से जानबूझ कर पशु का वध होने पर तथा कंपनी द्वारा निर्धारित अन्य परिस्थितियाँ.
लापरवाही से चोरी की वारदात होने देने या पशु को गुप-चुप बेच देने की स्थिति में या पशु की पहचान न होने की स्थिति में.
बीमित राशि का दावा- अधिकतम बीमित राशि तक सीमित अथवा स्थायी विकलांगता होने पर इसका 75% तक देय होगा.
उपर्युक्त जानकारी डेयरी किसानों की त्वरित जानकारी हेतु दी गई है. अपने पशु का बीमा करवाने से पहले आप इंश्योरेंस कार्यालय से सभी नियमों एवं शर्तों का पता लगा लें क्योंकि कुछ शर्तें विभिन्न कंपनियों में अलग-अलग हो सकती हैं.
बीमे का उद्देश्य केवल जोखिम को कम करना होता है. बीमा कभी भी पूरे नुक्सान की भरपाई नहीं करता लेकिन हानि होने की स्थिति में आपको विचलित भी नहीं होने देता.
यदि पशुओं का बीमा किया गया हो तो आप चैन से सो सकते हैं तथा अचानक होने वाले नुक्सान की स्थिति से स्वयं को उबारने में भी सक्षम हो सकते हैं. अगर डेयरी में सारी पूँजी आपकी लगी है तो जोखिम भी आपका ही होता है. वैसे बीमा तो आग्रह की विषय-वस्तु है.परन्तु ‘लोन’ ले कर स्थापित की गई डेयरी में बीमा करवाना अनिवार्य होता है क्योंकि बैंक अपने द्वारा दिए गए क़र्ज़ पर हर तरह की गारंटी तो चाहता ही है.

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